कविताअन्य
* जीवन का संघर्ष *
थक गया हू तो मतलब ये नही,
की मेरा सफर खत्म हो गया है
अभी तो पुरा करना है उस काम को
जो मुझसे अधूरा रह गया है
चाहे करलो जितनी कोशिशे
तू मुझे मिटा नही पायेगा
मै तो बस लढता रहूँगा
तू हर बार मुह की खायेगा
मंज़िल तो मुझको पानी है
तब तक मुझे रुकना नही है
आयेंगी तकलीफे कई मुसाफ़िर
पर तुझको झुकना नही है
परिणाम कुछ भी हो सफर का
पर तुझको चलते जाना है
खुश रहे परिवार हमेशा
बस इतना सुख मुझे पाना है
जब मिल जायेगी कामयाबी तुझे
सिर्फ विनम्रता से रहना है
अहंकार से जीवन मिट जायेगा
बस मुझको इतना कहना है!
- समाधान धिवर