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कवितानज़्म
सरपर ले लिया पत्थर उछालके दिल ले गया कोई ज़िस्म से निकालके दिन लद गए अब वस्ल ओ विसाल के संगे दिल को समझ कर दिलबर बशर अपने सरपर ले लिया पत्थर उछालके ©️ डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"/३/१२/२०२३