कवितागीत
#साहित्य अर्पण ,,, एक पहल,, अंतर्राष्ट्रीय मंच
#शब्दाधारित आयोजन
#शब्द :- "तन्हाई"
#विधा :- गीत (मुक्तक )
#दिनांक :- 03:12:2023
आयोजक :- अंशु जैन जी
तन्हाई
जो लौटकर तू मेरी जिंदगी में आ जाये ।
मेरे गुलशन में लौट कर के बहार आ जाये ।।
तेरी यादों की चुभन दिल में कहीं बांँकी है ।
कोई हमराज नहीं है ना कोई शाकी है ।।
तेरी जुल्फों की महक तन मे मेरे छा जाए ।
मेरे गुलशन में लौटकर ..........
जब से तू रूठ गई, गम में डूबता ही गया ।
तेरी दुनियांँ से ये मन अब तो ऊबता ही गया ।।
मै देखता रहूंँ तुमको खड़ी तू मुस्काये ।
मेरे गुलशन मे लौटकर के बहार .......
मै तमन्नाओं की महफिल सजाए बैठा हूं ।
तेरे स्वागत के लिए दिल बिछाए बैठा हूँ ।।
मैं' लिखूं शोख गजल जो तू आके गा जाए ।
मेरे गुलशन मे लौटकर के बहार ........
रचनाकार : पं. रज्जन सरल
सतना म०प्र०