Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
*बात नहीं होती* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*बात नहीं होती*

  • 99
  • 2 Min Read

*बात नहीं होती*
माना कि फ़िराक़ में हबीब से मुलाक़ात नहीं होती
उनकी मुझ से मेरी उनसे आजकल बात नहीं होती
ताल्लुक़ात गर बनाए रखने के जज़्बात जिंदा होंतो
बातचीत और गुफ़्तगू में बशर ऐहतियात नहीं होती
©️डॉ.एन.आर. कस्वाँ 'बशर'

logo.jpeg
user-image
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg