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कविताअतुकांत कविता
"दर्द की जीती-जागती मिसाल हूं,मैं । दुनिया समझती है, कि खुशहाल हूं, मैं। सच पूछो,तो दिल से मलाल हूं, मैं । फिर भी बेवजह, मुस्कुरा देता हूं। यही दुनिया की, पहचान हूं, मैं । स्वरचित एवं मौलिक रचना- द्बारा -निर्मल कुमार गुप्ता, सीतापुर।