Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
*मुसाफ़िर बनना चाहूंगा* ना मुस्लिम बनना चाहूंगा ना क़ाफ़िर बनना चाहूंगा मंज़िल है मुझे मालूम मेरी मैं मुसाफ़िर बनना चाहूंगा ©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" ------------------------ मुस्लिम = आस्तिक क़ाफ़िर = नास्तिक