कविताभजनलयबद्ध कविताछंदचौपाईगीत
"श्रीराधा-अमृत चौपाई भाग-3"
वृंदावन धाम नित वासिनी।
निकुंज बसहुं मृदुल भाषिणी।।
भजन करूं राधा हितकारी।
राधा नाम कृष्ण सुखकारी।।
अवमाने अर्भक लकिराई।
हुलसै मात रात जुनहाई।।
बिलोक बिसमरन सिंधु स्वरुपा।
भज राधा नाम परम अनुपा।।
अरुण कोपल कुंतल कँज कली।
मात लागे छवि अति संजली।।
कृष्ण प्रिया सौंदर्य रासिनी।
परार्थ कीर्ति दिव्य सुवासिनी।।
केकी कीर विरल मही पँछी।
तुलसी मनुज विरल मही कँठी।।
मन उन्मन हो पथ प्रवंचना।
कर राधा पग विरल अर्चना।।
कुहासा आवृत हो नव उषा।
रसहीन भई कवित विभूषा।।
कवित रस पीयूष सुनाम है।
जीवन सरस राधा नाम है।।
राधा रस आभा सरमाया।
तृष्णा लोभ कटे नरमाया।।
नाम जप से लिखी चौपाई।
हो राधा नामहु भरपाई।।
बार बार मैं करूं प्रणामा।
मिले कीर्ति बस राधा नामा।।
चरण रज मैं माथे चढ़ाऊं।
श्री चरणों में निवास पाऊं।।
प्रार्थना कर स्वीकार राधा।
भव सागर रुपी कटे बाधा ।।
जीवन पर्यंत गाउँ नामा।
सफल कर राधा सकल कामा।।
स्वामिनी पाऊं तेरी दया।
जीवन ही राधा नाम भया।।
चारु चरण मढ़ी छत्र छाया।
काटी भव फंद मढ़ी माया।।
रचियता:-हेमंत।
Dated:-11/11/2023.
जयकारा श्रीराधा श्रीराधा।