कविताअतुकांत कविता
मां मुझे मत मार तेरे गर्ब मे, मुझे आने दो इस जग मे!मै तेरे आँगन को महाखूँगी,अपने देश के लिए स्वर्ण पदक जीत लाऊँगी,
बेटियों क़ो मारोगे तो बताओ बहु काहसे लौओगे, पूजते हों तुम देवियों को क्यों मारते हों फ़िर क्यों मारते अपनी बेटियों क़ो, माँ मुझे भी यह संसार देख़ना है, माँ मुझे आने दो इस जग मे, मेरे ना होने से क्या तौवहर मानुँगी, गंगोर और भैया क़ो राखी किसे बंदवूगी माँ आने दो इस जग मे मुझे ना मार तेरे गर्व मे, तेरे आँगन महाखूँगी, आसमा मे भी परचम पराऊँगी!