कविताभजनलयबद्ध कविताछंदगीत
"शादी"
ईश तड़प मेरे भांति करे,प्रभु की विख्याति करें।
उमंग युगल इसी भांति करे,तभी हम शादी करें।।
जीवन मिलन से मधूर बने,प्रभु बसे न दूर घने।
प्रभु मिलन को प्रिये भजन करें,करत भजन विदुर बनें।
तुम आओ जब हे गृह लक्ष्मी,मोह ध्यान भंग करो।
जीवन पर्यंत जो ना हुआ,मुझ संग बयान करो।।
ईश्वर सुनेंगे टेर अब तो,मन ये अनुमान धरो।
भजन रुपी वर से विवाह हो,विवाह मिलन तब करो।।
हे स्त्री पति हो अज्ञानी जो,निरंतर प्रयास करो।
ईश्वर देंगे साथ हमेशा,भजन शरण आश धरो।।
विवेक सबमें भजन करेगा,समय का न नाश करो।
ये कुजन भी सज्जन बनेंगे,प्रभु पर विश्वास करो।।
हर स्थिति हर क्षण बस भजन करो,प्रभु में मन मग्न करो।
विवाह अवश्य शुभफल देगा,ईश भजन प्यास करो।।
नव युगल यत्न कुछ खास करो,राम रंग रास करो।
लेके नाम राम का मन में,ब्याह शिलान्यास करो।।
रचियता:-हेमंत।
"हरिगितिका छंद"।
जयकारा श्रीराधा श्रीराधा।