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कवितानज़्म
ज़िन्दगी में मरने से डरता हर कोई है मग़र "बशर" मरता हर कोई है! मरने केलिए जीना जीने केलिए मरना इस सफ़र से गुजरता हर कोई है! डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"/२५/११/२०२३