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उसीकी नज़र-ए-नायत दिखाई नज़र आती है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

उसीकी नज़र-ए-नायत दिखाई नज़र आती है

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ये उसीकी नज़र-ए -नायत दिखाई नज़र आती है
चश्मे - नज़र को उसी की रौशनाई नज़र आती है
कैसे कह दें के हमने खुदा हमारा नहीं देखा बशर
चमक हरशय में अनवर-ए-इलाही नज़र आती है
©️डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"

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