Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
ये उसीकी नज़र-ए -नायत दिखाई नज़र आती है चश्मे - नज़र को उसी की रौशनाई नज़र आती है कैसे कह दें के हमने खुदा हमारा नहीं देखा बशर चमक हरशय में अनवर-ए-इलाही नज़र आती है ©️डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"