कवितानज़्म
*रंग-ए-मौसम-ए-हयात*
रंग-ए-मौसम-ए-हयात हमने "बशर" सतरंगी यहाँ देखे
रंगत अपने मौसम-ए-वतन की देखी वो और क्या देखे
दश्त ओ शजर हरसू कूबकू हरतरफ़ आते हैं हमें नज़र
मग़र वोह ख़ुश्बू ए बहार अपने चमन की सी कहाँ देखें
बहुल रंगों की शहजादी तितलियाँ वोह भौरों की गुंजन
सरसोंके खेतोंमें मकरंद चूसती मधुमक्खियां कहाँ देखें
कहानियाँ लिखने वालों की कहींभी कमी नहीं है मग़र
लोग अपने किरदार के वफादार हमने अपने वहाँ देखे
मौसमे - ख़िज़ाँ में खूबसूरती ढूंढते दिखाई देते हैं लोग
बहार से वफ़ा का वोह सदाबहार फलसफा कहाँ देखें
©️ डॉ.एन. आर. कस्वाँ 'बशर'
सरी, कनाडा/२०/११/२०२३