Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
हम इस ओर लिखते हैं वोह उस ओर पढते हैं हम कुछ और लिखते हैं वो कुछ और पढते हैं लफ़्ज मुतअस्सिर उसी से मुताल्लिक़ उसी के वो मग़र मुखातिब किसी गैर की ओर पढते हैं ©️डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"