Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
खुद्दार युवक - Rajjansaral (Sahitya Arpan)

कविताभजनदोहाछंदचौपाईगीत

खुद्दार युवक

  • 229
  • 8 Min Read

साहित्य अर्पण मंच को सादर नमन ।
शीर्षक "खुद्दार युवक" के संदर्भ में मेरी समझ व बुद्धि अनुसार
चंद पंक्तियां प्रस्तुत हैं ।
------------ ------------- --------------
राम को ही बस भरत सा भाई मिल सकता है।
यूँ ही नहीं कोई जन जन के दिल बसता है ।।

चिता जलानी पड़ती है, जीते जी जिसको ।
तब कोई सीता सी नारी बन सकता है ।।
करना है गर नाम ठोकरें खानी होंगी ।
तब जाकर गांधी, सुभाष सा बन सकता है ।।

फूलों पर चलकर किसका कल्याण हुआ है ।
नाम का खातिर राम भी कांटो पर चलता है ।।
अगर तमन्ना है कुछ कर जाने का दिल में ।
फतह शिखर पर लगड़ा होकर कर सकता है ।।

हर्ज हमें क्या एक घोंसला टूट गया तो ।
हिम्मत है तो नया आशियाँ बन सकता है ।।
हम इतने भी नही गए-गुजरे हैं यारो ।
चीर के सीना पत्थर का जल बह सकता है ।।

लड़ता है जो जंग, परास्त वही होता है ।
विना लड़े उससे बरदास्त नही होता है ।।
चींटी चढ़ना नहीं छोड़ती दीवारों पर ,
मजदूरों का नाम लिखा है मीनारों पर ।
कोशिश से तो सेतु बना सागर में यारो ।
कौन सा ऐसा कार्य जो तू ना कर सकता है ।।

हमें नहीं शिकवा मलाल अब और किसी से ।
काट ही लेंगे सफर जिन्दगी दौर खुशी से ।।
ढेर जिन्दगी जाने से क्या हासिल होगा ।
मौत से भी मशहूर जगत मे हो सकता है ।।

जविन के इस हवन कुण्ड मे, आहुति सबको देनी होगी ।
मिली जिन्दगी जैसी हंँस कर जीनी होगी।
आज खिला है फूल अगर मैयत की खातिर ।
कल सारा गुलदान तुम्हारा हो सकता है ।।

यूँ ही नहीं कब्र पर चढ़ते फूल किसी के ।
जनम जनम के पाप कर्म से धो सकता है ।।
अगर तेरे मन का संकल्प प्रचंड हुआ तो ।
तू एक दिन आजाद, कलाम सा हो सकता है ।।

जब जैसा हो वक्त नजाकत समझो यारो ।
तू चाहे तो मुट्ठी में जग हो सकता है ।।
जीवन है संघर्ष, अगर स्वागत है इसका ।
'रज्जन' जैसा शख्स भी शायर बन सकता है ।।

शब्द रचना : रज्जन सरल
सतना म०प्र०

IMG-20231010-WA0006_1700066336.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg
ये ज़िन्दगी के रेले
1663935559293_1726912622.jpg