कविताभजनछंदचौपाईगीत
"श्रीराधा-अमृत चौपाई भाग -1"
जापक हूआ कृपया पात्रा।
टूट जाएगी अभी माया।।
राधा नाम जपे हेमंता।
मिलही जो मानव की काया।।
मन मानव बुनकर माया का।
बुनता मोह पाश का धागा।
कष्ट रचता मार्ग तुझ तक का।
कष्ट मार्ग बीच अटल बाधा।।
गाने से धुन राधा नामा।
वाणी छोड़े सकल विकारा।।
सकल दोषा निवारण नामा।
राधा नामैव चमत्कारा।।
चुभता राधा ऐसा ताना।
ऊठे मन में हर क्षण कामा।।
जाप जापन से खत्म कीन्हा।
गाकर राधा पियूष नामा।।
है अबोध भी सुबोध होए।
क्रोधा सौम्य अनुमोद होए।।
खोजी में ज्ञान सोध होए।
राधा नाम जब बोध होए।।
सरल बिधि राधा नाम आए।
जब सार शिष्य गुरु से पाए।।
स्वर्ग द्वार न पीयूष भाए।
राधा नाम जब मनुज गाए।।
अबुधु कीन्हा पौरुष गुहारी।
अवगुण सकल तिनपर प्रहारी।।
निसार पतित होय बड़भागी।
राधा चरण जो अनूरागी।।
कलुषित जाए देख उबारै।
राधा नाम एकहु उचारै।।
कुसंग को नाम ससंग भया।
सद्वृति भई अवनति ना गया।।
तम हो जो संसारव्यापी।
पाप नाशी नाम मृदुभाषी।।
नैकहूं न फले रैनि अँचरा।
दुर्लभ न मंजिल नाम प्रखरा।।
रचियता:- हेमंत।
राधा रानी को समर्पित दास की छोटी सी कविता।
जयकारा श्रीराधा श्रीराधा।