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गौ माता - Rajjansaral (Sahitya Arpan)

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गौ माता

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आज सनातन संस्कृति में गोवर्धन पूजा का दिन है इस उपलक्ष्य में तुच्छ " रज्जन सरल "की ओर से गौ माता के चरणों में श्रद्धासुमन ।

।। गौ महिमा ।।

गौ माता की महिमा सुनाता हूँ मैं ।
उसके चरणों में मस्तक झुकाता हूँ मैं।

मांँ के जैसी है महिमा, है करुणामयी ।
उसके चरणों में मस्तक झुकाता हूं मैं ।
गंगा जैसी है पावन पतित पावनी ।
कृष्ण को प्राणप्रिय है ए मन भावनी ।।
ऐसी श्यामा के अव गीत गाता हूँ मैं ।
उसके चरणों में मस्तक मुलाता हूँ मैं ।

दूध उसका है अमृत जहां के लिए ।
पूछ उसकी है नौका वहां के लिए ।।
ऐसी देवी के गुन गुनगुनाता हूँ मैं ।
उसके चरणों मे मस्तक झुकाता हूँ मैं ॥

गौ के गोबर से आँगन महकते यहाँ ।
देव पूजन भी गोबर से करते यहाँ ।।
पांच अमृत में गौ मूत्र भी है मिला ।
करके अर्चन सभी को पिलाता हूँ मैं ।
गौ माता की महिमा सुनाता हूँ मैं ।।

जीते जी ये तो मानव का करती भला ।
करती भवपार जब तू जहाँ से चला ।।
करती बयतरणी तू पार सबकी ऐ मां ।
अधम पापी जो तुझको को भुलाता हूँ मैं ।।
गौ माता की महिमा........

बृज मे माखन कन्हैया, ने खाया तेरा ।
रहा गोकुल मे हर दम ही साया तेरा ।।
कर हो मुझ पर कृपा, अब बुलाता हूँ मैं ।
तेरे चरणों मस्तक झुकाता हूँ मैं ।।

खाके तिनका हमें देती है दूध तू ।
कभी कुछ भी न कहती बड़ी सूध तू ॥
तेरे उपकार अगणित गिनाता हूंँ मैं ।
उसके चरणों मे मस्तक झुकाता हूँ मैं ॥

तेरी संतान भी खेत मे जुत रहे ।
तेरा संसार के नाम श्री युत रहे ।।
तेरी माया का ना पार पाता हूँ मैं ।
तेरे चरणों में मस्तक झुकाता हूंँ मैं॥

पं.रज्जन सरल

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