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ज़ाहिर अपनी तजवीज़ हम क्यूं करें - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

ज़ाहिर अपनी तजवीज़ हम क्यूं करें

  • 38
  • 1 Min Read

*हम क्यूं करें*
किसी तीसरे पर बशर होकर फिदा,
गोया ज़िक्र -ए -जफ़ा-ए-हबीब हम क्यूं करें!
फ़िक्र-ए -जमीं-आस्माँ करे है खुदा,
फ़जूल ज़ाहिर अपनी तजवीज़ हम क्यूं करें!
©️डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"

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