कवितानज़्म
*धनदौलत जिंदगीमें सच्चे अहबाब होते हैं*
हयात -ए -मुस्त'आर में सब के ऊंचे ख़्वाब होते होते हैं
सब्जबाग ये हक़ीक़त में वीराने सहरा के सराब होते हैं
बे -सबब बे-शुमार जर जमीं की जुस्तजू में जीते हैं हम
मिल जाएतो धनदौलत जिंदगीमें सच्चे अहबाब होते हैं
डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"
शुभ धन -तेरस
शुभ दीपोत्सव