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वुजूहात हमारे अंदर जज़्ब होती हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

वुजूहात हमारे अंदर जज़्ब होती हैं

  • 55
  • 1 Min Read

बे-शक अड़चने मुश्क़िलात हर-सू पग-पग पर
खड़ी सब होती हैं ,
नाकामयाबियों की वुजूहात मग़र बशर हमारे
अंदर जज़्ब होती हैं!

©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"/९/११/२३

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