Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
*अहसासात* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*अहसासात*

  • 101
  • 2 Min Read

*अहसासात*

हमने जब अपने जज़्बात -ओ -अहसासात लिखे
लोगों को महज बशर हमारे फौरी ख़्यालात दिखे

येह इल्म-ओ-हुनर वाले तो निपट जाहिल निकले
अश्आर तमाम सुख़न हराम बेसबब बेबात दिखे

©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"
सरी, कनाडा /९/११/२३

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg