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*जमाने का होता है हाथ फ़ितरत-ए-इन्सा बनाने में* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*जमाने का होता है हाथ फ़ितरत-ए-इन्सा बनाने में*

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*जमाने का होता है हाथ फ़ितरत-ए-इन्सा बनाने में*

ईजाद ए फ़ितरत "बशर" अपनी
करता नहीं खुद जमाने में !

जमाने का होता है हाथ सालिम
फ़ितरत ए इन्सान बनाने में !

©डॉ.एन.आर.कस्वाँ"बशर"/९/११/२३

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