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कविताअन्य
देखना हैँ तो देखिये दिल के कक्ष मे पाएंगे ईश्वर को हर लम्हे अपने पक्ष में आये करें कुछ इस उपलक्ष में बिखेर दे खुशियाँ दिन दुःखियों के समकक्ष में जानते हो मुश्किल हैं पाना इस लक्ष को रहेगी कोशिशे बनने दक्ष में.