कवितागजलदोहाछंदचौपाईगीत
घुंँघरू की आवाज जो आई ।
चैन गया मोरी नींद उड़ाई ।।
घुंघरूं की आवाज .......
तिरकिट धुम तिरकिट धुम तिरकिट मृदंग वाजे ।
छूम छूम ना ना ना ना पायल वाजे।
कौन गली बाजी शहनाई ।
घुंंँघरूं की आवाज है आई ।
धुन मीठी जो मन को हिलोरे ।
अनजाना रिश्ता ये जोरे ।।
कौन परी धरती पे आई ।
घुंघरू की आवाज है आई ।
सुर अरु ताल की अनुपम जोड़ी,
पायल टूट ना जाये निगोड़ी ॥
है न्योछावर सारी खुदाई ।
घुंघरू की आवाज है आई ।।
'रज्जन' कहत बनै नहि मुख सों ।
करे मुक्त जग के सब दुख सों ।।
राग प्रीत की पड़त सुनाई ।
घुंघरू की आवाज है आई ।।
रचनाकार : पं. रज्जन सरल