Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
घुंघरू - Rajjansaral (Sahitya Arpan)

कवितागजलदोहाछंदचौपाईगीत

घुंघरू

  • 136
  • 3 Min Read

घुंँघरू की आवाज जो आई ।
चैन गया मोरी नींद उड़ाई ।।
घुंघरूं की आवाज .......

तिरकिट धुम तिरकिट धुम तिरकिट मृदंग वाजे ।
छूम छूम ना ना ना ना पायल वाजे।
कौन गली बाजी शहनाई ।
घुंंँघरूं की आवाज है आई ।

धुन मीठी जो मन को हिलोरे ।
अनजाना रिश्ता ये जोरे ।।
कौन परी धरती पे आई ।
घुंघरू की आवाज है आई ।

सुर अरु ताल की अनुपम जोड़ी,
पायल टूट ना जाये निगोड़ी ॥
है न्योछावर सारी खुदाई ।
घुंघरू की आवाज है आई ।।

'रज्जन' कहत बनै नहि मुख सों ।
करे मुक्त जग के सब दुख सों ।।
राग प्रीत की पड़त सुनाई ।
घुंघरू की आवाज है आई ।।

रचनाकार : पं. रज्जन सरल

FB_IMG_1698306791688_1699811805.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg