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क्या तेरा, क्या मेरा !! - Badri Nath (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

क्या तेरा, क्या मेरा !!

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  • 2 Min Read

थोडी दूर रखो ईर्ष्या, कहो
हमे तुमपर नाज, तुम्हें हमपर नाज ,
बस छोटी सोच है यह जीत-हार
सर पे, तेरे भी ताज, मेरे भी ताज ।

झगड़े क्यों जब एक ही आसमां
जिसमें तु भी बाज, मैं भी बाज ,
तोड़ सारी रंजिशे, कह
ना तुम नाराज, ना हम नाराज ।

रगो में खून एक ही, फिर क्यों
यह तेरा रिवाज, यह मेरा रिवाज ,
जानते हो न, कभी थम जाएगी
तेरी भी आवाज, मेरी भी आवाज ।

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