कविताअन्य
जहां ना हो भेद जात का, ना धर्म की ही बात हो,
जहां दिल रहे बेखौफ सा, ना रात मे रुसवाई हो,
जहां रिश्तों की कदर हो, अपनेपन का एहसास हो, ना हो शिकायते किसी से , अटूट एक दूसरे पर विश्वास हो,
प्यार भरी महफिल हो, दुख सारे ही रख ले वो,
एक ही रंग हो दुनिया का, ना बात बात पर बदले वो,
जहां बिन मतलब रिश्ता निभाएं सब, चल ऐसा जहान बनाए हम..
जहां "मैं" को "हम" बनाए सब, चल एक ऐसा जहान बनाए हम..