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नारी गरिमा - Rajjansaral (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कवितागीत

नारी गरिमा

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नारी शक्ति को सादर प्रणाम करते हुए
रज्जन सरल का भावार्पण ।।

कभी समझ पाया नहीं नारी का नर अर्थ ।
नर से नारी मे सदा, अधिक रहा सामर्थ ॥

संरचना की दृष्टि से, सुन्दरता मे श्रेष्ठ।
सहनशीलता अधिक है, वाणी से भी श्रेष्ठ।।

सूझबूझ नर से अधिक जीवन शक्ति प्रचण्ड ।
नारी मे ही सतत यह, टिका हुआ ब्राह्मण्ड ।।

स्वर की अजब मिठास, हृदयंँ को सीतलता पहुंँचाती ।
सहती दुःख अत्यंत, मगर वह कभी नही जहलाती ।।

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