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कवितानज़्म
इतनी फ़राग़त किसे मयस्सर है 'बशर' गुजरे जमाने याद करे फ़ुर्सत हो तो बशर कोई बशर को बाद गुज़र जाने के याद करे ©️"बशर"/७/११/२३