कविताअन्य
पिछली बार की आखरी मुलाकात
हृदय की गहराइयों में समात
भरपूर भव्यता से छा गई थी रात
विदाई नगरी से हम लौटने की बात
मिलने का था नये साल का सिलसिला
जीवन की कुछ खोयी खबरे जो थी सुबहिया
मिठास भरे खाने में मिली थी यादे
कविता के रंगों से रूपित हो गईं सदे
गोधूली रंगों से रंगता था आसमान
जीवन की हर राह थी फूलों से जमान
मिलने की खुशियों से ओढ़ा हुआ आँगन
आपसी दूरी खो जाती थी, गहरा कर जाता मन
दिनों की सड़कों पर वह मुसाफिर जब टिकता
यादों के घेरे में उनकी मन मगन हो जाता
दिलों पर लेले था सावर उनका स्वर
आंगन पर फैलती थी उनकी प्यारी प्रियता ध्वनि
ऐसी हर मिलानी सामरस्य हो जाए
रहें यह रंगीन पल इतने सुहाने
यह आखरी मुलाकात कुछ अनोखी सी हो जाए
हर पल सजाए विचारों के राज़, संगीत से भरी जिंदगी की चांदनी परिंदाएं