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कवितानज़्म
*ये सिक्के इन बाजारों में नहीं चलते* हमारे पास वो सिक्के हैं बशर जो इक्के दुक्के सैंकड़ो हज़ारों में नहीं चलते मुहब्बत, ख़ुलूस, ऐहतराम, इख़्लास के ये सिक्के इन बाजारों में नहीं चलते ©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"/०४/११/२३