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कवितानज़्म
*सलाम अच्छा है* शक्ल-ओ-सूरत अच्छी है ना तो नाम अच्छा है हमको न अदब कोई कहते हैं कलाम अच्छा है अकड़कर गले मिलें यह लगे कि गले आन पड़े अदबसे करना आ जाए बशर सलाम अच्छा है डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर" ०४/११/२०२३