Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
*कलम दवात के सहारे हैं* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*कलम दवात के सहारे हैं*

  • 34
  • 3 Min Read

*कलम दवात के सहारे हैं*
क़िस्मत के मारे न वक़्त के मारे हैं
जीनेकी जुस्तजूमें हयात से हारे है!
विसाले-हबीब नहीं मयस्सरतो क्या
साथ चंद यांदों के दिन गुजारे हैं!
मरासिम पुराने भुलाए भी तो कैसे
बचेहुए यहीतो अहसासात हमारे हैं!
विसाले -हबीब हो फ़िराक़े -यार हो
राब्ते हमारे दरिया के दो किनारे हैं!
लफ़्ज़ों से लबरेज नदीहै हमहैं और
कागज, कलम, दवात के सहारे हैं!

डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"
०४/११/२०२३

logo.jpeg
user-image
आग बरस रही है आसमान से
1663935559293_1717337018.jpg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg