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*न बताना पड़े न जताना पड़े* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*न बताना पड़े न जताना पड़े*

  • 55
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*न बताना पड़े न जताना पड़े*
वोह प्यार ही क्या जिसको जताना पड़े,
वोह इश्क ही क्या जिसको बताना पड़े!
मुहब्बत का रंग तो वोह शय है "बशर",
रंगके देख न बताना पड़े न जताना पड़े!
डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"

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