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कवितानज़्म
*ख़बर ताजा आज की* लफ़्फ़ाज़ की अल्फ़ाज की है ख़बर ताजा आज की सूरत ओ सीरत बदल गई है सुख़नवरी के अन्दाज की डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" ०३/११/२०२३