Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
जरुर अन्त होना है संसार का - Kavi Praveen Mangliya (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

जरुर अन्त होना है संसार का

  • 68
  • 3 Min Read

मेरियाना गर्त की गहराई के समान
अज्ञान मै धंसा हूं मैं कब से
जब से जन्म लिया है इस जग में
इस जग को देखकर जीवन के सार्थक
मूल्यों को भुला हू मैं दु:ख से
यहा खुलेआम घूमते हैं दानव आराम से
किसी को भी परवाह नहीं है
इस जग के कल्याण मैं
हमने सीखा है अपने समाज से
एक दिन जरूर अन्त होना है
इस दानवमयी संसार का
यहा खुलेआम डलते हैं डाके बाजार मैं
घरों में चोरियां होती हैं बिना किसी डर के
यहाँ तो प्रसासन भी पलती है
इन दानवों के भंडार से
एक दिन जरुर अन्त होना है
इस संसार का

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
20220906_194217_1731986379.jpg