कवितालयबद्ध कविता
मेरियाना गर्त की गहराई के समान
अज्ञान मै धंसा हूं मैं कब से
जब से जन्म लिया है इस जग में
इस जग को देखकर जीवन के सार्थक
मूल्यों को भुला हू मैं दु:ख से
यहा खुलेआम घूमते हैं दानव आराम से
किसी को भी परवाह नहीं है
इस जग के कल्याण मैं
हमने सीखा है अपने समाज से
एक दिन जरूर अन्त होना है
इस दानवमयी संसार का
यहा खुलेआम डलते हैं डाके बाजार मैं
घरों में चोरियां होती हैं बिना किसी डर के
यहाँ तो प्रसासन भी पलती है
इन दानवों के भंडार से
एक दिन जरुर अन्त होना है
इस संसार का