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आदमी ने ज़हर घोला है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

आदमी ने ज़हर घोला है

  • 40
  • 1 Min Read

रोज-ओ-शब शामो-सहर बशर हर-पल हर-पहर घोला है

कंकरीट के जंगलों में मुसलसल आदमी ने ज़हर घोला है

©डॉ.एन.आर.कस्वाँ"बशर"
२६/१०/२०२३

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