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*वालदैन का इम्तिहान* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*वालदैन का इम्तिहान*

  • 29
  • 3 Min Read

*वालदैन का इम्तिहान*

नाकामयाब संतान होती है,
वालदैनका इम्तिहान होती है।

मां - बाप की नींद उड़ाकर ,
चादर तान संतान सोती है।

क़िस्मत को कोसती है अक़्सर
मुसलसल मुक़द्दर को रोती है।

काम - धाम में क्या रखा है,
विरासत तो उन की बपोती है।

आलम-ए-बेखुदी में बेख़बर
व्यर्थ अपना जीवन खोती है।

माना कि लाइलाज मर्ज की
दुआ आख़री शिफ़ा होती है।

क्या कहिए क्या करिए बशर
दवा से बढ़ कर दुआ होती है।।

@*बशर*

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