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बंधन - teena suman (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

बंधन

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बंधन

"कोई तो कुछ उपाय करो"?
"हां हां इतने बड़े ज्ञानी और बड़े बुजुर्ग है यहां ,कोई तो कुछ उपाय बताओ"|
"अरे !शायद कोई अधूरी इच्छा "?
" अरे नहीं! पिछले 6 महीने से उनकी हर इच्छा पूरी कर रहे हैं कुछ और कारण होगा"?
"तो फिर कोई मनौती"?
" वह भी नहीं हर एक मनाैती पूरी किए हैं हम"|
" यह भी नहीं ,वह भी नहीं ,तो फिर क्या ?कुछ ना कुछ तो ऐसा है जो बांधकर रखे हुए हैं|
हर किसी की आवाज हमारे कानों से टकरा रही थी और हम बेबस खटिया पर पड़े हुए बस छुटने की बाट जोह रहे थे|
तभी एक और आवाज कान के परदे से टकराई-
" दादी तुम हमको छोड़ कर चली जाओगी"|
आंखों की गंगा ने साथ नहीं दिया बह निकली|
नन्हे कन्हैया को जी भर के देखा प्यार से सहलाया |
साल भर की मुराद आज पूरी हुई थी|
मोह माया के बंधन से मुक्त होकर मैं बह चली ,भवसागर को पार करने के लिए|

टीना सुमन
स्वरचित और प्रकाशित रचना

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