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कवितानज़्म
औरों को क्या पता होगा क्या पता था तेरे जहाँ में आकर "बशर" लापता होगा खुद मुझ को मेरा पता नहीं औरों को क्या पता होगा डॉ.एन.आर. कस्वाँ, "बशर"/३१/१०/२०२३