कविताअन्य
यह कैसी दोस्ती की है
यह कैसी दोस्ती की है हमने
पता ही नही चलता है
दिल मे जो बात छुपा रखी है हमने
जुबां पर ही नही आती है
यह कैसी दोस्ती की है हमने
मै समझ नही पा रहा हूँ
यह दिल धाड़कता है उनके लिए
वो समझती ही नही है ,इसलिए
मै खुद को समझा रहा हूँ
यह कैसी दोस्ती की है हमने ।।
अब कैसे समझायें उनको
पहली बार यह दिलगी की है हमने
पहली बार यह गुफ्तुगु की है हमने
पता नही यारों यह कैसी दोस्ती की है हमने
मन मेरा सच्चा है ये तो मुझे पता है
पर उनको कैसे समझाए यारों
दिल क्या टेलीविज़न का डिसप्ले है
जो खोल कर दिखाये उनको
यह कैसी दोस्ती की है हमने
अब उनके मन मे क्या है
मुझे क्या पता है दोस्तों
हाँ बोले तो भी ठीक है
ना बोले तो वैसे भी हम सच्चे है
यही मेरे लिए काफी है
पता नही यह कैसी दोस्ती की है हमने ।।
कॉपीराइट @मनी भुषण 2023