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*जिंदगी का पता नहीं* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*जिंदगी का पता नहीं*

  • 92
  • 1 Min Read

*जिंदगी का पता नहीं*

कज़ा है बहुत क़रीब मग़र बशर
जिंदगी का पता नहीं!

देखा है इसे क़रीब से हमने पर
जिंदगी का पता नहीं!

डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"/३०/१०/२०२३

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