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कवितानज़्म
*आब -ए-हफ़त-दरिया की प्यास* थोड़ीसी हैं जरूरियात जिंदगी की हैरतअंगेज इश्तियाक़ हसरत ख़्वाहिशात की जुस्तजू खोज तलाश रहती है, सहरा-ए-हयात-ए-मुस्त'आर के वीरानों में इक मुसाफ़िर को बशर यहाँ आब-ए-हफ़्त-दरिया की प्यास रहती है!! ©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" २०/१०/२३/सरी