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*फ़साना याद रह गया* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*फ़साना याद रह गया*

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*फ़साना याद रह गया*

कहीं पर शाद कहीं पर बशर नाशाद रह गया
कहानी ख़त्म किरदारों का फ़साना याद रह गया

©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"
१९/१०/२३/सरी

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Dr. N. R. Kaswan

Dr. N. R. Kaswan 11 months ago

शाद=खुशी, नाशाद =नाखुश, फ़साना= किस्सा

तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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