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*अनसुनी करी नफ़्ज-ए-क़ल्ब हमने* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*अनसुनी करी नफ़्ज-ए-क़ल्ब हमने*

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*अनसुनी करी नफ़्ज-ए-क़ल्ब हमने*

अनसुनी हमेशा करी बशर नफ़्ज़ ए क़ल्ब हम ने
तड़पना तो शुरू अब किया है बेचारे ग़मे-दिल ने

©डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"
१९/१०/२३/सरी

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