कवितानज़्म
नफ़रत गवारा नहीं
अक़ीदत गवारा नहीं..इज्ज़त गवारा नहीं
बहिश्त गवारा नहीं.....जन्नत गवारा नहीं!
बेशक हैं तो हैं......... गवांर आवारा सही
खुदको संवारा नहीं...बनावट गवारा नहीं!
यकीं मशक़्क़त पे है...मिन्नत गवारा नहीं
मुक़द्दर गवारा नहीं......मन्नत गवारा नहीं!
काम है इबादत..सिर्फ हसरत गवारा नहीं
मरना गवारा.....मुफ्त मसर्रत गवारा नहीं!
गुरबत गवारा बशर... ख़ैरात गवारा नहीं
मुहब्बत में लुटे हैं.....नफ़रत गवारा नहीं!
डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"