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कवितानज़्म
*मेहनत और मशक़्क़त की चलती है* मुकद्दर के आगे ना दुआओं की चलती है न भले बुरे वक़्त की चलती है बस अगर बशर चलती है तो केवल मेहनत और मशक़्क़त की चलती है! #"बशर"