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*पानी पर तहरीर* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*पानी पर तहरीर*

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*पानी पर तहरीर*

मन मोरे तू छोड़ दे नश्वर तन की तकरीर,
आखिर माटी हो जाएगा सांसों बिन शरीर!

लहरों से लिखी लहरों से ही मिट जाएगी,
काया तेरी है बशर केवल पानी पर तहरीर!

कर्म तिरे रह जाएंगे मिट हाथों की लकीर,
कम है वक़्त पास तेरे कर ले कोई तदबीर!

@"बशर"

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