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*सफ़र बाक़ी है* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*सफ़र बाक़ी है*

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*सफ़र बाक़ी है*

दिखाई देने लगी है मंज़िल अब
बस थोड़ा-सा सफ़र बाक़ी है!

रास्ता मुश्क़िल गुज़र चुका बशर
आसान सी रहगुज़र बाक़ी है!

डॉ.एन.आर.कस्वाँ
"बशर"/२०२३/१०/०६

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