कवितालयबद्ध कविता
©सृष्टि श्रीवास्तव
चाहत थी जिसकी तहे दिल और जान से
अब वो हमारे लिए और हम उसके लिए अनजान से
कह कर उसने छोड़ दिया कि तुम आगे बढ़ जाना
उसको पहले समझना था न ये, उसने न ये जाना
लड़कियों की कमजोरी पर लड़के उठ जाते हैं
थोड़ा सा झूठा प्यार देकर फिर रूठ जाते हैं
उठाना है अगर फायदा तो,कोठे पर क्यों नहीं जाते हैं
और अगर ऐसा न हो तो, मनाने क्यों नहीं आते हैं
दिल तोड़ कर कोई लड़की जाए,उसको बेवफा बोल देते
कितनी आसानी से हमें वो ऐसे ही छोड़ देते
दूर से चमकने वाले तारे को, देखते रहना ही चाहिए
और तारे को भी कभी आसमान छोड़ना नहीं चाहिए
धरती पर आए तो कद्र नहीं वो कद्र नहीं रहती
आसमान भी पराया, पराई भी धरती
फिर क्यों न लड़की बने पापा की अपने परी
लड़के को प्यार देगी तो हो जाएगी ही अकेली
अकेले गुजार ले अगर जिंदगी तो बेहतर ही है
पर ये दुनिया भी एक पर एक ठोकर देती है
संभलना भी खुद है,चलना भी खुद है
बस एक लड़की ही शायद बुरी किस्मत है
पैसों की बात करे तो गलत भी कहां है
पैसे से दुनिया चले,पर पैसा ठहरता कहां है
लड़की को पैसे चाहिए क्योंकि प्यार कोई सच्चा देता नहीं
उसे जन्म से बता दिया जाता है, उसका घर उसका नहीं
ख्याल हैं सारे, जो जिंदगी हैं हमारी
इन्हीं ख्यालों के साथ जीती हैं लड़कियां सारी।