कवितानज़्म
*याद आना क्या काफी नहीं*
याद करनेके बाद आतेहैं याद
बाद आना क्या काफी नहीं है।
गवारा नहीं है न आना उनका
याद आना क्या काफी नहीं है।
इक याद से हो गमे-दिल शाद
शाद रहना क्या काफी नहीं है।
यादोंकी खुशीमें जो छलके वे
आंसूआना क्या काफी नहीं है।
भूलें कभी याद आ जाएं बशर
आनाजाना क्या काफी नहीं है।
डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"