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*पहचाने जाने में जमाने लगे हैं* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*पहचाने जाने में जमाने लगे हैं*

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*पहचाने जाने में जमाने लगे हैं*

चेहरे कुछ तो जाने पहचाने नज़र आने लगे हैं
मग़र बशर इन्हें पहचाने जाने में जमाने लगे हैं

डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"
१२/१०/२३

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